शिवरात्रि पर्व जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव का दिव्य अवतरण हुआ था हालांकि यह दिन भगवान शिव के विवाह की वर्षगांठ के तौर में मनाया जाता है सनातन धर्म में पुरातन समय से शिवरात्रि की पूरी रात को जगाने को कहा जाता है वहीं कुछ लोग पूरी रात पूजा करते हैं तो कुछ लोग शिव पार्वती विवाह को जागरण के तौर पर मानते हैं पर शिवरात्रि की रात जागने से क्या होता है चलिए जानते हैं
शिवरात्रि की रात को क्यों जागना चाहिए
भगवान शिव संहार के देवता है इसीलिए रात्रि का समय भगवान शिव को ज्यादा प्रिय है भगवान शिव सदा ध्यान की मुद्रा में होते हैं ऐसे में रात्रि के समय उनसे संपर्क साधने मे आसानी होती है यही कारण है कि महाशिवरात्रि की रात में जागरण किया जाता है
वैज्ञानिक दृष्टि से खास है महाशिवरात्रि
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो महाशिवरात्रि बेहद खास है रात को ब्रह्मांड में गृह और नक्षत्र की ऐसी स्थिति बनती है जो एक ऊर्जा का प्रवाह होता है इक्विनोस यानी इस समय सेंट्रल फ्यूलगल फोर्स एक खास तरह से काम करता है मनुष्य के भीतर ऊर्जा ऊपर की ओर जाने लगती है यानी मनुष्य को आध्यात्मिक शिखर पर जाने में मदद मिलती है धार्मिक रूप से कह तो प्रकृति इस रात मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती है
इस प्राकृतिक ऊर्जा का पूरा लाभ मिल सके इसके लिए रीड की हड्डी सीधा करके ध्यान मुद्रा में बैठने को कहा जाता है वही लेटे रहने से हमारे शरीर तंत्र को ऊर्जा नहीं मिल पाती इसीलिए महाशिवरात्रि की रात को जगाने को कहा जाता है।