भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है यहां दिन रात हर समय ट्रेन पटरी पर दौड़ा करती हैं ट्रेन में तो लगभग सबने सफर जरूर किया होगा ट्रेन में एक इंजन होता है जहां लोको पायलट इसे चलाता है और इसके पीछे 22-24 ट्रेन के डिब्बे होते हैं।
लेकिन क्या आपको पता की ट्रेन में स्टेरिंग नहीं होता ऐसे में सवाल उठता है कि इन टेढ़ी-मेढ़ी पटरियों पर लोको पायलट ट्रेन कैसे मोड़ता है दरअसल ट्रेन में स्टेरिंग नहीं होता है इसीलिए पायलट अपनी मर्जी से ट्रेन नहीं मोड सकता और ना तो वह रोक सकता है ट्रेन को किस स्टेशन पर रोकना है इसका फैसला रेलवे के हेड क्वार्टर में होता है रही बात ट्रेन मोडने कि या ये कहें पटरी बदलने की तो रेलवे इसके कर्मचारी नियुक्त करता है इनको पॉइंट्समैट कहा जाता है यह स्टेशन मास्टर के निर्देशों के अनुसार पटरिया जोड़ते हैं ट्रेन पटरी को अंदर से पकड़ कर चलती है पटरी पर ट्रेन के पहिए इस तरह से सेट किए जाते हैं जो पटरी को जकड़े रहते हैं इसी वजह से ट्रेन आगे बढ़ती है।
लोको पायलट क्या काम करता है?
लोको पायलट का काम है सिग्नल देखकर ट्रेन की स्पीड कम ज्यादा करना ट्रेन में 11 स्थितियों के मुताबिक 11 तरह के हॉर्न बजाना और इमरजेंसी में लोको पायलट का संपर्क रेलवे अधिकारियों से ना हो पा रही हो तो ट्रेन के पिछले डिब्बे मौजूद गार्ड से बात करके फैसला लेना।