भारत की सभ्यता विकास में नदियों का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है प्राचीन काल से नदियों को पुजनीय माना जाता है मान्यता है की गंगा, यमुना और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप कट जाते हैं पर एक ऐसी भी नदी है जहां स्नान नहीं किया जाता है
चंबल नदी, चंबल नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान से बहती है और अंत में यह उत्तर प्रदेश में यमुना नदी से मिल जाती है इसकी लंबाई 1024 किमी है लेकिन चंबल नदी का इतिहास साधारण नहीं है चंबल नदी को पवित्र नदी का दर्जा नहीं दिया गया है ऐसा माना जाता है कि राजा रांतिदेव द्वारा बड़ी संख्या में मासूम पशुओं का बलिदान कर जानवरों के रक्त का परिणाम है और ऐसा भी माना जाता है कि द्रौपदी ने नदी को श्राप दिया था इसी वजह से चंबल नदी में कोई स्नान नहीं करता। आज यही श्राप चंबल नदी के लिए वरदान साबित हो रहा है क्योंकि इसका पानी स्वच्छ और जलीय जीवों के अनुकूल है।