क्या त्रिकोण झंडा चौकोर झंडे से ज्यादा फहराता है?
इस तरह के ध्वज को दो भागों में विभाजित करें तो ऊपरी और निचली। ऊपरी हिस्से में हवा की गति अधिक होती है और दबाव कम वहीं निचले भाग में हवा की गति कम होती है और दबाव ज्यादा। इसीलिए चौकोर झंडा जो होते हैं उन्हें लहराने के लिए ज्यादा हवा की जरूरत होती है वही त्रिकोण झंडा कम हवा में भी लहराते हैं।
इनके जो तीन कोने हैं वह ब्रह्मा, विष्णु और महेश को दर्शाते हैं इसीलिए ज्यादातर मंदिरों में इसी तरह के ध्वज ज्यादा मिलेंगे।
एक इस आकार के ध्वज होते हैं जो यह पावर को दर्शाते है इसीलिए पहले के समय में युद्ध में इसी प्रकार के ध्वज का उपयोग होता था जैसे अर्जुन के रथ में।