आपने कभी ना कभी लोगों द्वारा नदियों में सिक्का फेंकते हुए देखा ही होगा और ये परंपरा बहुत पुरानी है हर एक परंपरा के पीछे कोई ना कोई कारण होता है कुछ इसे अंधविश्वास मानते हैं लेकिन आज हम इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण बताएंग
प्राचीन काल में सिक्के तांबे के बनते थे और लोग नदियों से पानी पीते थे पानी भी तांबे के बर्तन में ही रखा जाता था। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मुताबिक पीतल के बर्तन में पानी रखने से 99.9% की कीटाणु नष्ट हो जाते हैं
यह कारण हमारे पूर्वजों को पहले से ही पता था इसीलिए वह नदियों में तालाबों में तांबे के सिक्के पानी में फेंका करते थे आज के समय में स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम के सिक्के चलते हैं और समय के साथ-साथ असली कारण खो गया और लोगों ने इसे मनोकामना का रूप दे दिया।